छत्तीसगढ़ की राजधानी, रायपुर में स्थित ‘श्रीधाम’, जिसे ‘सुमेरु मठ’ या ‘औघड़नाथ दरबार’ के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो अपने भीतर अनेक रहस्य और आश्चर्य समेटे हुए है। पिछले कई वर्षों से यह दरबार निराश्रितों और जीव-जंतुओं के लिए एक आश्रय स्थल बना हुआ है, जहां उन्हें निरंतर भोजन और आश्रय प्रदान किया जाता है। इस दरबार की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र यहां स्थापित पारे (मरक्युरी) से निर्मित ‘रसेश्वर महादेव’ शिवलिंग है, जिसे शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ शिवलिंग माना गया है।
ஜூலை 25, 2024
रहस्य 6 प्रकार के पारद शिवलिंग का
पारद शिवलिंग निर्माण में विभिन्न तत्वों का उपयोग होता है, जिनमें अबरताल (Arsenic), मृगालक (Phosphorus), अपन्हुत (Cupric Metacide), जिरायत (Tridentium), वज्रदंती (Impure Ore), और कज्जल (Zinc Carbate) शामिल हैं। प्रत्येक तत्व के विशिष्ट गुण और अनुपात होते हैं, जो शिवलिंग की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।
पारद शिवलिंग स्थापना: विधि और महत्व
श्रावण मास, शिव भक्ति का पावन समय, जिसमें भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। यदि इस पावन महीने में आपको पारद शिवलिंग की प्राप्ति हो जाए, तो इसे अपने परम सौभाग्य की बात समझें। श्रावण मास में पारद शिवलिंग को घर लाकर विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के द्वार खुलते हैं।