पुराणों के अनुसार पारद शिवलिंग का महत्त्व

हमारे प्राचीन ग्रंथों में पारद शिवलिंग की महिमा का अद्भुत वर्णन मिलता है। आइए देखें कि विभिन्न ग्रंथ इसके बारे में क्या कहते हैं:

हमारे प्राचीन ग्रंथों में पारद शिवलिंग की महिमा का अद्भुत वर्णन मिलता है। आइए देखें कि विभिन्न ग्रंथ इसके बारे में क्या कहते हैं:

शिव निर्णय रत्नाकर:

मिट्टी या पत्थर के शिवलिंग की पूजा से करोड़ों गुना अधिक फल स्वर्ण शिवलिंग से, स्वर्ण से करोड़ों गुना अधिक फल मणि शिवलिंग से, और मणि शिवलिंग से भी करोड़ों गुना अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन या दर्शन मात्र से प्राप्त होता है।

पारद शिवलिंग की भक्ति और श्रद्धा से पूजा करने पर साधक को तीनों लोकों में स्थित शिवलिंगों की पूजा का फल मिलता है और उसके सभी महापाप नष्ट हो जाते हैं।


वायवीय संहिता: पारद शिवलिंग की पूजा से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य और मनोवांछित सभी वस्तुएं सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।

ब्रह्म पुराण: पारद शिवलिंग के दर्शन और पूजन से मनुष्य धन्य होता है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण: जीवन में एक बार भी विधि-विधान से पारद शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन का पूर्ण सुख, धन, यश, मान-सम्मान, संतान सुख, विद्या, और अंत में मुक्ति की प्राप्ति होती है।

रस राज चिंतामणि: पारद शिवलिंग की निंदा करने वाला व्यक्ति घोर पापी होता है और उसे पारद साधना में सफलता नहीं मिलती।

रससार पद्धति: पारद शिवलिंग के दर्शन और पूजन से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसके स्पर्श और पूजन से पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है, और इस पर चढ़े जल, दूध या पंचामृत के सेवन से परमपद की प्राप्ति होती है।

सारांश:

पारद शिवलिंग को शिव का शिवालय कहा गया है, जिसके प्राप्त होने पर सभी सिद्धियाँ स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। यह भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद का अद्भुत स्रोत है, जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति, भौतिक सुख, और अंततः मोक्ष की ओर ले जाता है।