पारद शिवलिंग बहुत खास है। इसका महत्त्व और रहस्य यह है की यह सभी पापों को खत्म करता है और बीमारियों से बचाता है। इसे देखने और छूने भर से भगवान शिव खुश हो जाते हैं। इससे दुनिया में सुख मिलता है। निचे आपको पारद शिवलिंग के बारे में जानकारी मिलेंगी|
पारद यानी पारा वही है जो थर्मामीटर में चमकता दिखता है। पारा, चाँदी और जड़ी-बूटियों से बना शिवलिंग पारद शिवलिंग कहलाता है। भगवान शिव को पारा बहुत पसंद है और इस शिवलिंग की पूजा का खास महत्व है।
पुराणों में बताया गया है कि पारद शिवलिंग की पूजा करने से 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन जितना पुण्य मिलता है। जब पारे में चाँदी मिलाई जाती है तो यह पारद बन जाता है। पारा अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी धातु है जो तरल रूप में होती है। चाँदी मिलाने पर यह ठोस हो जाता है।
कहा जाता है कि चाँदी और पारे से बने पारद शिवलिंग में बहुत शक्ति होती है। अगर इसे बर्फ पर रखा जाए तो यह अपने बराबर की बर्फ सोख लेता है। पारद शिवलिंग सभी दुखों को दूर करता है और मन को शांति देता है।
हज़ारों शिवलिंगों की पूजा के बराबर पुण्य नर्मदेश्वर शिवलिंग और पारद शिवलिंग के दर्शन से मिल जाता है। पारद शिवलिंग इतना शक्तिशाली है कि अगर पूजा करने वाले पर कोई मुसीबत आती है तो यह शिवलिंग खुद पर ले लेता है और टूट जाता है।’
पारद शिवलिंग का पुराणों में लिखित महत्त्व –
पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा था कि जो भी पारद शिवलिंग की पूजा करेगा, उस पर भगवान शिव की कृपा हमेशा रहेगी। उसे कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी, बीमारी नहीं आएगी, गरीबी नहीं सताएगी और उसका मान-सम्मान, यश, धन और ऐश्वर्य बढ़ेगा। अंत में वह सभी सुखों को भोगकर मोक्ष प्राप्त करेगा।
देवताओं ने हनुमान जी को पारद शिवलिंग उपहार में दिया था और बताया कि शिवलिंग की पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु ने भी शिवलिंग की पूजा करके भगवान शिव से बहुत सी शक्तियाँ पाईं और राक्षसों का नाश किया था। आपको पारद शिवलिंग के बारे में यह जानकारी बहुत काम लोगों को है|
पारद शिवलिंग की निर्माण विधि –
पारद को रसराज भी कहते हैं। पुराणों में लिखा है कि यह अपने आप में सिद्ध धातु है। पारा एक तरल धातु है, इसलिए इससे शिवलिंग बनाना बहुत मुश्किल है। सबसे पहले पारे को अष्ट-संस्कार करके शुद्ध किया जाता है। फिर औषधियों के साथ मिलाकर इसे ठोस बनाया जाता है।
अष्ट संस्कार में लगभग 6 महीने लगते हैं, बाकी कामों में 2-3 महीने और लग जाते हैं। तब जाकर पारे से शिवलिंग बनकर तैयार होता है। यह प्रक्रिया बहुत ही जटिल है। पारद शिवलिंग का महत्व ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि ग्रंथों में बताया गया है।
रुद्र संहिता में लिखा है कि रावण रसायन शास्त्र और तंत्र-मंत्र का ज्ञाता था। उसने भी पारे से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी और शिवजी को प्रसन्न किया था। मान्यता है कि पारद शिवलिंग की पूजा से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यहाँ तक कि जिस घर में नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा होती है, उस घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती।
पारद शिवलिंग की पूजा से होने वाले लाभ –
पारद शिवलिंग की पूजा जीवन में खुशियाँ लाने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती। आयुर्वेद के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा उच्च रक्तचाप और अस्थमा जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। पारा कई बीमारियों की दवा के रूप में काम करता है। यह पारद शिवलिंग का एक और महत्त्व और रहस्य है|
पारद शिवलिंग नवग्रहों के बुरे प्रभाव से भी बचाता है। इसकी भक्तिभाव से पूजा करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के बराबर पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
पारद शिवलिंग बहुत ही शुभ और सौभाग्य देने वाला होता है। इससे अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। इसे छूने भर से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और पुण्य मिलता है। शिवपुराण कहता है कि पारद शिवलिंग की पूजा से दूसरे शिवलिंगों की तुलना में हज़ार गुना फल मिलता है।
कहा जाता है कि पारद भगवान शिव के अंश से बना है और इसे घर में रखने से भगवान शिव, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का स्थायी वास होता है। अगर परिवार में कोई बीमार है तो उन्हें दवाओं के साथ पारद शिवलिंग की पूजा करवानी चाहिए। इससे सभी तरह की बीमारियाँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
पारद शिवलिंग की पूजा धन, परिवार, स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ी छोटी-बड़ी समस्याओं को दूर करती है। पुराणों में लिखा है कि इस शिवलिंग में पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान समाया हुआ है।
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