हमारी कहानी
“लक्ष्मी नारायण ज्योतिष अनुसंधान केंद्र” की वेबसाइट पर आपका स्वागत है। शायद आप सोच रहे होंगे कि यह नाम कैसे पड़ा, और हम यहां क्या करते हैं? तो चलिए, मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ…
पीढ़ियों से, हमारे परिवार की पहचान रही है पारद के साथ धातु की कला। सदियों से चली आ रही इस परंपरा को हमने अपने खून में बसाया है। मेरे दादाजी, वे पारद के सच्चे कारीगर थे। उनके हाथों में पारद जैसे प्राण ले लेता था, एक अद्भुत चमत्कार सा होता था। वो एक साधारण धातु को दिव्यता का रूप दे देते थे। उनके स्पर्श से शिवलिंग, नंदी, और भी न जाने कितनी दिव्य मूर्तियाँ जीवंत हो उठती थीं, मानो उनमें साक्षात ईश्वर का वास हो गया हो।
यह कला हमारे परिवार की विरासत थी, हमारा गौरव, हमारी पहचान। हमारी हर सांस में, हर धड़कन में इस कला का अस्तित्व था। हम इस कला के वारिस थे, इसके संरक्षक।
लेकिन मैं, मैं कुछ अलग सोचता था। आधुनिक युग में पला-बढ़ा, मेरे मन में इंटरनेट की चमक थी। मैं देखता था कि कैसे दुनिया एक क्लिक पर सिमट रही है, कैसे लोग हज़ारों मील दूर बैठे एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं। मुझे लगा कि क्यों न हम इस प्राचीन कला को तकनीक के इस नए दौर में लेकर जाएँ? क्यों न हम पारद की दिव्यता को ऑनलाइन माध्यम से लोगों तक पहुँचाएँ? क्यों न हमारी विरासत सिर्फ हमारे घर की चारदीवारी तक सीमित न रहे, बल्कि पूरी दुनिया में फैले?
यह विचार मेरे मन में एक जुनून की तरह घर कर गया। मुझे लगा जैसे मैं एक नई दुनिया के द्वार पर खड़ा हूँ, एक ऐसी दुनिया जहाँ परंपरा और आधुनिकता का संगम हो सकता है। एक ऐसी दुनिया जहाँ हमारी कला सिर्फ कला नहीं, बल्कि एक सेतु बन सकती है, जो लोगों को उनके आध्यात्म से जोड़े।
लेकिन यह विचार मेरे परिवार के लिए किसी झटके से कम नहीं था। दादाजी और दादी, जिन्होंने जीवन भर इस कला को धर्म से जोड़कर रखा था, उनके लिए यह किसी पाप से कम नहीं था। “धर्म की चीज़ों का व्यापार?”, दादी की आवाज़ में गुस्सा और चिंता साफ़ झलक रही थी।
लेकिन मैं हार मानने वाला नहीं था। मैंने उन्हें समझाया कि यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि लोगों तक पारद की दिव्यता पहुँचाने का एक माध्यम है। बहुत मुश्किलों के बाद, दादाजी ने मेरी बात समझी और मुझे आशीर्वाद दिया।
फिर शुरू हुआ हमारा संघर्ष। मैंने दिन-रात एक कर दिया। अलग अलग तरह के एक्सपर्ट लोगों से मिला, उन्हें अपने विचार के बारें में समझाया और उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया, फिर हमने वेबसाइट बनाई, पारद के चमत्कारी गुणों को शब्दों में पिरोया, शिवलिंग, नंदी, और अन्य दिव्य मूर्तियों की तस्वीरें खींची। हर एक चीज़ को बारीकी से तैयार किया। हमने अपने इस संगठन को नाम दिया “लक्ष्मी नारायण ज्योतिष अनुसंधान केंद्र”।
शुरुआत के दिन जैसे सदियों में बदलने लगे। हमारी वेबसाइट पर सन्नाटा पसरा था। दिन बीतते गए, हफ्ते बीतते गए, महीने बीतते गए, पर एक भी ऑर्डर नहीं आया। मेरे मन में एक तूफ़ान सा उठने लगा। क्या मैंने गलत किया? क्या दादाजी और दादी सही थे? क्या वाकई धर्म की चीज़ों को ऑनलाइन बेचना सही नहीं था?
आस-पास के लोग भी जैसे इसी मौके की ताक में थे। वो ताने मारते, “देखा, हमने पहले ही कहा था, ये सब बेकार है। तुम्हारा ये इंटरनेट का चक्कर तुम्हें कहाँ ले जाएगा? धर्म-कर्म की चीज़ों को ऐसे थोड़ी बेचते हैं!” उनके शब्द मेरे दिल में तीर की तरह चुभते थे।
दादाजी और दादी के चेहरे पर भी उदासी छाई रहती थी। वो कुछ नहीं कहते, पर उनकी चुप्पी मुझे और भी बेचैन करती थी। मुझे लगता था जैसे मैं उनके विश्वास पर खरा नहीं उतर पा रहा हूँ। रातों को नींद नहीं आती थी। मन में बस एक ही सवाल घूमता रहता था, “अब क्या होगा?”
एक दिन, एक बड़ा ऑर्डर आया, पर कुछ ही देर में कैंसिल हो गया। ग्राहक ने बताया कि उसे किसी और वेबसाइट पर वही चीज़ सस्ते दाम में मिल गई है। उस वक्त तो लगा जैसे मेरा सारा संघर्ष व्यर्थ हो गया।
लेकिन अगले ही दिन, एक चमत्कार हुआ। उस ग्राहक का फ़ोन आया। उसने बताया कि सस्ते वाले प्रोडक्ट में पारद नहीं था, वो नकली था! उसने हमारी वेबसाइट पर दोबारा ऑर्डर किया।
इस घटना के बाद, ऑर्डर की बाढ़ आ गई। लोग हमारी ईमानदारी और पारद की शुद्धता से प्रभावित हुए। हमारी वेबसाइट देश के कोने-कोने में मशहूर हो गई।
आज, “लक्ष्मी नारायण ज्योतिष अनुसंधान केंद्र” लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। हमारी वेबसाइट के ज़रिए हम लोगों तक पारद की दिव्यता पहुंचा रहे हैं और धार्मिक लेखों के माध्यम से उनके जीवन में सकारात्मकता ला रहे हैं।
यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि मेरे पूरे परिवार की है, जो एक साथ मिलकर इस मुश्किल रास्ते पर आगे बढ़ा। यह कहानी है संघर्ष की, समर्पण की, और सबसे बढ़कर, पारद की दिव्य शक्ति और भोलेनाथ के आशीर्वाद में विश्वास की। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर आपका इरादा नेक है और आप शिव शक्ति में अटूट विश्वास रखते हैं, तो कोई भी बाधा आपको अपने लक्ष्य से नहीं रोक सकती।